रायपुर। बड़े-बड़े शहरों में हजारों रूपयों की फीस लेकर आयोजित होने वाला कार्यक्रम प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के सौजन्य से ब्रह्माकुमार शक्तिराज भाई निशुल्क करा रहे हैं। राजधानी रायपुर के बूढ़ापारा स्थित इण्डोर स्टेडियम में एनर्जी और एक्शन से भरपूर उनके शिविर में राजधानीवासी झूम रहे हैं और आनन्द उठा रहे हैं। कल दूसरे दिन शाम को उनके शिविर में भाग लेने के लिए भारी संख्या में लोग उमड़ पड़े।
मेमोरी एण्ड माइण्ड मैनेजमेन्ट ट्रेनर ब्रह्माकुमार शक्तिराज सिंह ने कहा कि खुशी चिन्ता और तनाव आदि मन से संबंधित अनुभूति हैं। इसलिए उसका इलाज भी हमें अपने अंदर यानी मन में ही ढूंढना होगा। हम लोग बाहरी भौतिक सुख साधनों और वैभवों में आदि के द्वारा उसे पाने का प्रयास करते हैं जो कि गलत है। बाहरी वस्तुओं से क्षणिक सुख-शान्ति मिल सकती है किन्तु स्थायी खुशी चाहिए तो वह हमें राजयोग मेडिटेशन से ही मिलेगी।
उन्होंने बताया कि खुशी के लिए कोई रास्ता नहीं जाता बल्कि खुशी ही रास्ता है। हम जो भी कर्म करते हैं, उसका प्रतिफल सुख अथवा दुख के रूप में हमें इस जन्म में अथवा अगले जन्म में मिलता ही है। यदि हम सबको सुख देंगे तो उसका फल सुख के रूप में मिलेगा। किन्तु किसी को दुख दिया तो जीवन में दुख का सामना करना पड़ेगा। हरेक क्रिया की समान किन्तु विपरीत प्रतिक्रिया जरूर होती है। इसलिए सुखी रहना है तो सबको सुख देना सीखो।
उन्होंने आगे कहा कि अपनी खुशी का रिमोट अपने हाथ में रखो। कुछ लोग सोशल मीडिया, टेलीविजन और मोबईल में बिजी रहकर खुशी पाना चाहते हैं। उन्होंने अपनी खुशी का रिमोट दूसरों के हाथ में दे रखा है। इसलिए कुछ लोग सोशल मीडिया में लाईक न मिले तो दुखी हो जाते हैं। अपनी खुशी का रिमोट अपने हाथ में रखना चाहिए। दूसरा कोई व्यक्ति आपके बारे में कुछ बोलता है तो उसे स्वीकार न करें। अपनी अवस्था न बिगाड़ें। लोग तो बोलेंगे ही लेकिन आप उसे स्वीकार नहीं करें।
उन्होंने कहा कि आत्मबल बढ़ाने के लिए सदैव अपने को लीडर समझो। हम लोग वही करते हैं जो कि हम चाहते हैं परन्तु होता वह है, जो परमात्मा की इच्छा होती है। तो क्यों न हम वही कार्य करें जो कि परमात्मा चाहते हैं। देखा गया है कि मनुष्य अपनी अन्तर्चेतना का सिर्फ दो प्रतिशत हिस्सा ही उपयोग कर पाता है। शेष हिस्सा बिना उपयोग के ही रह जाता है। आत्मबल बढ़ाने के लिए अपने को हीरो अथवा लीडर समझें। सदैव यह सोचो कि मैं शक्तिशाली हूं, मैं सफल हूं।