राज्य में 481 में से 480 सौर संयंत्र हुए पुनः क्रियाशील, ग्रामीणों ने जताया सरकार के प्रति आभार
रायपुर। (ASKCG) छत्तीसगढ़ में सुशासन तिहार-2025 के तहत राज्य सरकार द्वारा गांव-गांव में आयोजित शिविरों के ज़रिए न सिर्फ आम जनता की समस्याओं को सीधे सुना गया, बल्कि उनका तत्काल निराकरण भी सुनिश्चित किया गया। इस अभियान में छत्तीसगढ़ अक्षय ऊर्जा विकास प्राधिकरण (क्रेडा) की सक्रिय भूमिका ने पूरे प्रदेश में सुशासन की नई तस्वीर पेश की है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व और क्रेडा अध्यक्ष भूपेन्द्र सवन्नी तथा सीईओ राजेश सिंह राणा के मार्गदर्शन में क्रेडा द्वारा प्रदेश के दूरस्थ अंचलों तक पहुंचकर सौर ऊर्जा योजनाओं का न केवल स्थायित्व सुनिश्चित किया गया, बल्कि जनता के विश्वास को भी और मजबूत किया गया है।
सीईओ श्री राणा ने पहले ही विभागीय अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि क्रेडा सिर्फ संयंत्र लगाने वाली संस्था नहीं है, बल्कि संचालन, रखरखाव और सेवा की निरंतरता के लिए भी पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इसी सोच के साथ प्रदेश के सभी जिलों में क्रेडा के तकनीकी अमले ने सुशासन तिहार के दौरान मिले आवेदनों और शिकायतों पर तीव्र कार्रवाई की।
शिविरों में क्रेडा को कुल 481 अकार्यशील सौर संयंत्रों की शिकायतें प्राप्त हुई थीं। इनमें से 480 संयंत्रों को त्वरित कार्रवाई के तहत पुनः चालू कर दिया गया है। इन संयंत्रों में सोलर ड्यूल पंप, सोलर हाईमास्ट, स्ट्रीट लाइट्स और सोलर कृषि पंप जैसे उपकरण शामिल हैं, जो ग्रामीणों की बुनियादी ज़रूरतें पूरी करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
क्रेडा अध्यक्ष भूपेन्द्र सवन्नी और सीईओ राजेश सिंह राणा द्वारा समय-समय पर समीक्षा बैठकों, स्थलीय निरीक्षणों और स्पष्ट निर्देशों से यह सुनिश्चित किया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में क्रेडा से जुड़ी मांगों और आवेदनों का प्रभावी और समयबद्ध निराकरण हो। ग्रामीणों और हितग्राहियों ने सरकार के इस प्रयास पर प्रसन्नता व्यक्त की है और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के सुशासन की प्रशंसा करते हुए आभार प्रकट किया है।
नवाचार की दिशा में भी उठाए जा रहे कदम
क्रेडा ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में नवाचार की दिशा में भी कई पहलें की हैं। अध्यक्ष श्री सवन्नी और सीईओ श्री राणा ने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि राज्य में सोलर पार्क विकसित करने के लिए कृषि योग्य नहीं मानी जाने वाली भूमि का चिन्हांकन कर, संबंधित जिलों के राजस्व अधिकारियों के सहयोग से प्रस्ताव तैयार किया जाए।
साथ ही ट्रायबल आश्रम-छात्रावासों को सौर ऊर्जीकृत करने के लिए सर्वे कर विस्तृत योजनाएं बनाई जाएंगी। ‘ऊर्जा शिक्षा उद्यान’ के प्रचार-प्रसार के लिए स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों के साथ संपर्क स्थापित कर छात्र-छात्राओं को सौर ऊर्जा की उपयोगिता से अवगत कराया जाएगा।
स्वास्थ्य केंद्रों को पूरी तरह सौर ऊर्जा से लैस करने और कोयला खदान क्षेत्रों में रात्रिकालीन प्रकाश व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सोलर हाईमास्ट लगाने की कार्ययोजना भी तैयार की जा रही है।
सौर सुजला योजना के क्रियान्वयन को लेकर भी विशेष जोर दिया गया है, ताकि यह योजना किसानों के लिए वास्तविक लाभ का जरिया बन सके।
छत्तीसगढ़ में सुशासन तिहार-2025 के ज़रिए न सिर्फ शासन की योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन हुआ है, बल्कि क्रेडा जैसी संस्थाओं की जिम्मेदारी और जवाबदेही को भी नया आयाम मिला है। राज्य में सौर ऊर्जा की रौशनी अब सिर्फ तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि सुशासन का प्रतीक बन चुकी है।