रायपुर। बुद्धिमान व्यक्ति वही है जिसके घर में यदि कोई कांड हो भी जाए तो उसे प्रकट न करे बल्कि घर में शांति एवं एकता बनाए रखे। यह बातें श्रीधाम अयोध्या से पधारे हुए अनंत विभूषित स्वामी मधुसूदनाचार्य महाराज ने राम कथा का रसपान कराते हुए दूधाधारी मठ महोत्सव के तहत आयोजित संगीतमय श्रीराम कथा एवं भव्य संत सम्मेलन में श्रोताओं के बीच अभिव्यक्त की।
उन्होंने कहा कि गृहस्थ जीवन में पति-पत्नी दोनों में से एक यदि बातों को पचाने की क्षमता रखता हो तो घर में शांति बनी रहती है। राम जी के आगे सीता जी कभी नहीं चलीं, वे हमेशा जब भी चलीं, पीछे ही चलीं। मानव जीवन में किसी के साथ लड़ाई झगड़ा होना स्वाभाविक है। जो क्रोध को कुछ क्षण के पश्चात भूल जाता है समझना वह देवतुल्य है या देवता का ही अंश है। मातृशक्ति के लिए इस जगत में दो ही घर बताए गए हैं, एक तो पिता का घर या दूसरा पति का घर, बुढ़ापे में यदि पति चला भी जाए तो पुत्र के सहारे जीवन यापन करना चाहिए, यही शास्त्र का विधान है।
माता और पिता दोनों देवता के ही समान होते हैं इनके प्रति जिनके मन में देवत्व का भाव आ जाए समझना उनके जीवन का कल्याण हो गया। आचार्य ने कहा कि संपूर्ण विश्व में एक ही धर्म है वह है सनातन धर्म। बांकी सभी धर्म समयानुसार विलुप्त हो जाएंगे। व्यक्ति जब बूढ़ा हो जाता है, उसके शरीर के प्रत्येक अंग भी बूढ़े हो जाते हैं किंतु तृष्णा जवान हो जाती है। हमें अपने जीवन के मूल उद्देश्य ईश्वर की प्राप्ति को नहीं भूलना चाहिए।
शिव-पार्वती की कथा का रसपान कराते हुए उन्होंने कहा कि माता सती ने अपने शरीर का परित्याग करते हुए भगवान हरि से वरदान मांगा- सती मरत हरि सन वर मांगा, जनम- जनम शिवपद अनुरागा। अर्थात हे हरि जब भी मैं शरीर धारण करूं प्रत्येक जन्म में भगवान शिव ही मुझे पति के रूप में प्राप्त हो। हम सभी को भगवान श्री हरि के नाम का सहारा लेना चाहिए जिसने भी हरि से संबंध बना लिया उसे जीवन में कभी कोई दुख हो ही नहीं सकता। जिसका हरि से जुड़ा संबंध है, उसे हर घड़ी आनंद ही आनंद है।
श्रोताओं को सावधान करते हुए उन्होंने कहा कि गुरु के वचन पर हमेशा विश्वास करना चाहिए नहीं तो सपने में भी सुख समृद्धि और सिद्धि की प्राप्ति नहीं होगी। गुरु के वचन परतीति न जेहि, सपनेहु सुगम न सुख सिधि तेही।।
मंच पर हमेशा की तरह दूधाधारी मठ पीठाधीश्वर राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास महाराज मुख्य यजमान के रूप में विराजित थे।