रायपुर। दूधाधारी मठ में आयोजित संगीतमय श्री राम कथा एवं भव्य सन्त सम्मेलन के द्वितीय दिवस श्रोताओं को श्रीरामचरितमानस की कथा का रसास्वादन कराते हुए श्रीधाम अयोध्या से पधारे हुए अनंतश्री विभूषित स्वामी मधुसूदनाचार्य महाराज ने कहा कि संसार में सनातन धर्मावलंबी जहां कहीं भी हैं वे पांच देवताओं का नित्य वंदन किया करते हैं, गणेश, गौरी, सूर्य, लक्ष्मी और नारायण इनके आराध्य हैं। सनातन का अर्थ ही है सदा रहने वाला, यह सृष्टि के प्रारंभ से लेकर अब तक हैं और भविष्य में भी रहेगें। आचार्य श्री ने कहा कि वेद शास्त्रों के द्वारा संसार में पांच महापाप बताए गए हैं जिसमें ब्रह्म हत्या, गौ हत्या, दूसरों की संपत्ति का अधिग्रहण एवं मद्यपान के साथ ही इन विकारों से युक्त व्यक्तियों की संगति भी महापाप की श्रेणी में आता है। जिस व्यक्ति के मन में यह बात आ गया कि- गुरु मनुष्य है, वह भी महापापी ही है। गुरु के प्रति मन में भगवान के भाव आते ही मनुष्य का चित्त शुद्ध हो जाता है। आचार्य श्री ने कहा कि श्री रामचरितमानस में ईश्वर की प्राप्ति के लिए चार घाट बताए गए हैं, पहला ज्ञान , दूसरा कर्म, तीसरा उपासना, चौथा भक्ति घाट। इन चारों ही माध्यम से हमें ईश्वर की प्राप्ति हो जाती है। ज्ञानी व्यक्ति अपने ज्ञान से, कर्मकांडी कर्मकांड से, योगी उपासना से और भक्त अपनी भगवत भक्ति से ईश्वर को प्राप्त करते हैं। उन्होंने लोगों को -आदत बुरी सुधार लो बस हो गया भजन। कोई तुम्हें बुरा कहे सुनकर करो छमा।। वाणी को तुम सुधार लो बस हो गया भजन।। गाकर खूब रिझाया। श्रीरामचरितमानस को कलयुग में कामधेनु और कल्पवृक्ष के समान बताते हुए कहा कि रामचरितमानस कोई ग्रंथ या पुस्तक नहीं है। यह तो साक्षात भगवान श्रीरामचंद्र का ही मूर्तिमान विग्रह है। राम कथा का रसपान करने के लिए मंच पर यजमान के रूप में छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष राजेश्री महंत रामसुन्दर दास महाराज पीठाधीश्वर दूधाधारी मठ रायपुर विराजित थे। इनके अतिरिक्त कथा श्रवण के लिए मठ के ट्रस्टी गण, संत महात्मा, विद्यार्थी एवं श्रद्धालु जन उपस्थित थे।