रायपुर। वरिष्ठ साहित्यकार और छत्तीसगढ़ महाविद्यालय के सेवानिवृत्त ग्रंथपाल भाऊराव ढोमने की तीसरी काव्यकृति ‘भजन सरिता’ का हाल ही में एक सादगीपूर्ण समारोह में विमोचन किया गया। यह आयोजन डीडीनगर सेक्टर-4 स्थित एमआईजी-51 में संपन्न हुआ, जिसमें सुप्रसिद्ध साहित्यकार गिरीश पंकज ने मुख्य अतिथि के रूप में पुस्तक का विमोचन किया।
समारोह को संबोधित करते हुए गिरीश पंकज ने कहा कि आज के डिजिटल युग में जहां युवा और वयस्क मोबाइल और इंटरनेट की रीलों में व्यस्त हैं, ऐसे समय में भाऊराव जी ने ‘भजन सरिता’ के माध्यम से अत्यंत सार्थक और प्रेरणादायक रचना प्रस्तुत की है। महाराष्ट्र के बासीपार (गोरेगांव) से मूलतः जुड़े भाऊराव जी की रचनाओं में उनके भावों का गहराई से प्रवाह दिखाई देता है। यह संग्रह न केवल सदाचरण की सीख देता है, बल्कि मानव जीवन के मूल उद्देश्यों की ओर भी प्रेरित करता है। हर शब्द मानो अक्षय ज्ञान का भंडार हो – एक ऐसा खजाना, जो जीवन के साथ-साथ जीवन के बाद भी उपयोगी सिद्ध हो।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भाऊराव ढोमने की बाल्यकाल से ही गायन, वादन और लेखन में रुचि रही है, और यही कारण है कि यह रचना भी ऐसी है जिसे लोकप्रिय धुनों पर गाया और सुना जा सकता है। उन्होंने विश्वास जताया कि यह कृति शीघ्र ही आम लोगों के बीच लोकप्रिय हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व वर्ष 2020 में मराठी काव्यकृति ‘अभंग प्रवाह’ तथा 2022 में हिंदी संग्रह ‘काव्य प्रवाह’ प्रकाशित हो चुके हैं।
इस अवसर पर रचनाकार भाऊराव ढोमने ने भावुक शब्दों में बताया कि यह कृति उनके पूज्य माता-पिता के आशीर्वाद, सिद्धिदाता श्री गजानन स्वामी, बजरंगबली महाराज, मां शारदा की कृपा, जीवनसंगिनी सौ. चंपा की प्रेरणा तथा पुत्रों व पुत्रवधुओं के सहयोग से संभव हो सकी। उन्होंने बताया कि इस कृति के माध्यम से उन्होंने राष्ट्रसेवा, माता-पिता व गुरुओं की सेवा तथा ईश्वर भक्ति की भावना को भजनों के रूप में अभिव्यक्त किया है।
कार्यक्रम का प्रभावशाली संचालन योगिता ढोमने ने किया। इस अवसर पर अनेक साहित्य प्रेमी उपस्थित थे, जिनमें मुख्य रूप से गिरीश पंकज, श्री चंद्राकर, देवव्रत दत्ता, श्री मजूमदार, एम.एल. साहू, रामजी कुर्वे, कमलाकर टेटे, आनंद टेटे, वासुदेव राव दाते, विनायक येरपुड़े, आशीष राव दाते, संजय राव ढोमने, विजय कुमार ढोमने, चंपा ताई ढोमने, ऋतु ढोमने सहित कई गणमान्य जन उपस्थित रहे। सभी ने काव्य संग्रह की प्रशंसा करते हुए अपनी-अपनी स्वरचित पंक्तियों से आयोजन को विशेष बना दिया।