रायपुर। कवि यशवंत यदु ‘यश’ के जन्मदिन पर रविवार को शंकराचार्य विद्यालय गुढ़ियारी में सामाजिक संस्था वक्ता मंच की काव्य गोष्ठी संपन्न हुई। काव्य गोष्ठी का प्रभावी संचालन वक्ता मंच के अध्यक्ष राजेश पराते द्वारा किया गया।
अनिल श्रीवास्तव ‘ज़ाहिद’-
मैं अपने नाम का सिक्का उछाल आया हूँ
यूँ दिल से घर का मैं डर निकाल आया हूँ
खंगाल सकता नहीं जो शख्स कभी पोखर भी
वो कह रहा है समुंदर खंगाल आया हूँ।
मोहन श्रीवास्तव-
ओ ब्रजनारी सजनी तुम पर मैं बलिहारी
तेरा रूप मनोहर सुंदर दिव्य अतुल उजियारी।
रिक्की बिंदास-
मुन्नी और शीला के चक्कर में न पड़े तो
कल्पना सी उड़कर कहानी बन सकती है,
मिट्टी से करे जो प्यार मिट्टी से करे श्रृंगार
गीता बबिता सी जवानी बन सकती है।
श्रृंगार वाले त्याग दिये आभूषण जो सारे तुमने
भूले न विश्व वो दानी बन सकती है
उछाले जो कृपान ले ले कितनों की जान
झांसी वाली रानी मर्दानी बन सकती है।
उमा स्वामी-
मेरा वृद्धाश्रम आना किस्मत की मंजूरी थी
शायद मेरे अपनों की मजबूरी थी
कमी हुई होगी मुझसे कुछ परवरिश में
तभी रिश्तों में ये दूरी थी।
ज्योति सोनी-
जय हो मोर छत्तीसगढ़ महतारी
तोर आरती ऊतारव वो
टिकली, मुंदरी, खिनवा, ककनी
बाजे अऊ बनूरिया
मेहंदी महाऊर मांगे के लाली साजे सिंदूरिया
तोर आरती उतारंव।
राजू छत्तीसगढ़िया-
छत्तीसगढ़ के माटी हावय सबले गा महान।
चारों डहर हावय तोर महिमा के जसगान।
महेंद्र बेजुबां-
जिंदगी में जिंदगी का राज पाना चाहिए
जिंदगी में जिंदगी को मुस्कुराना चाहिए
जिंदगी में जिंदगी की शर्त पूरी न हो
तो जिंदगी को जिंदगी से टकराना चाहिए।
कार्यक्रम के अंत में यशवंत यदु के जन्मदिन पर उनके द्वारा जारी साहित्यिक साधना के लिए उनका अभिनंदन किया गया।
इस दौरान पार्षद अंजू साहू,राजेश पराते, शुभम साहू, आचार्य अमरनाथ त्यागी, रिक्की बिंदास, रामजीवन यदु, ज्योति शुक्ला, कुलदीप सिंग चंदेल, गंगा शरण पासी, अनिल श्रीवास्तव ‘ज़ाहिद’, राजू छत्तीसगढ़िया, लीलाराम साहू, पुष्पराज केशरवानी, डॉ. उमा स्वामी, अरविंद कुमार गुप्ता, डॉ. उदयभान सिंह चौहान, मो. हुसैन, रितेश साहू, तेजपाल सोनी, सुखराम साहू, बसंत कुमार यदु, किशन लाल यादव, कृष्ण शरण देवांगन, शिवा बाजपेयी, डी के बाजपेयी, जयचंद गोयल, किशन यादव, अमर बघेल, हरिशचंद साहू, सुनील शाह, ज्योति सोनी, पं. राजेंद्र प्रसाद पांडेय, चिरंजीव सोनी, महेंद्र बेजुबां सहित अनेक प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
वक्ता मंच के अध्यक्ष राजेश पराते ने जानकारी दी है कि मंच द्वारा साहित्यकारों के जन्मदिन या वैवाहिक वर्षगांठ के आयोजन उनके निवास स्थान या उसके आस पास के हाल में उत्सवित करने की नई परंपरा का आरंभ किया गया है, जिससे कि साहित्यकार के पड़ोसी और उनके वार्डवासी भी उनकी लेखकीय क्षमता से परिचित हो सके।