विद्यार्थियों को मिली उपाधियां, राज्यपाल रमेन डेका ने किया प्रेरक संबोधन
रायपुर। कलिंगा विश्वविद्यालय का पंचम दीक्षांत समारोह 12 नवंबर 2025 को विश्वविद्यालय परिसर में गरिमामय वातावरण में संपन्न हुआ। समारोह की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलाध्यक्ष एवं छत्तीसगढ़ के माननीय राज्यपाल रमेन डेका ने की। इस अवसर पर विशेष अतिथि के रूप में छत्तीसगढ़ शासन के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन, पुनर्वास तथा उच्च शिक्षा मंत्री टंकराम वर्मा, एवं छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष प्रो. विजय कुमार गोयल उपस्थित थे।
दीक्षांत समारोह के दौरान विश्वविद्यालय के डिप्लोमा, स्नातक, स्नाकोत्तर तथा पीएच.डी. के विद्यार्थियों को उपाधियाँ प्रदान की गईं। समारोह का शुभारंभ माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन से हुआ, जिसमें राज्यपाल रमेन डेका, मंत्री टंकराम वर्मा, प्रो. गोयल सहित विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार, कुलाधिपति डॉ. संदीप अरोरा, उपकुलाधिपति डॉ. सज्जन सिंह, ट्रस्टी डॉ. शर्मिला और डॉ. सीमा अरोरा, कुलपति डॉ. आर. श्रीधर, महानिदेशक डॉ. बायजू जॉन, कुलसचिव डॉ. संदीप गांधी, अधिष्ठाता डॉ. राहुल मिश्रा एवं लेफ्टिनेंट विभा चंद्राकर उपस्थित रहे।
दीक्षांत समारोह के प्रारंभ में कुलपति डॉ. आर. श्रीधर ने विद्यार्थियों को प्रेरक संदेश देते हुए उन्हें समाज के प्रति उत्तरदायित्व निभाने की अपील की।
प्रो. विजय कुमार गोयल ने अपने संबोधन में विद्यार्थियों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि यह दिन उनके कठिन परिश्रम और समर्पण का परिणाम है।
मंत्री टंकराम वर्मा ने कहा कि दीक्षांत समारोह केवल उपाधि प्राप्ति का अवसर नहीं, बल्कि यह विद्यार्थियों के परिश्रम, अनुशासन और उत्कृष्टता का उत्सव है। उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे अपनी शिक्षा और कौशल को समाज एवं राष्ट्र निर्माण में लगाएँ, तभी शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य पूरा होगा।
राज्यपाल रमेन डेका ने अपने प्रेरक संबोधन में कहा कि कलिंगा विश्वविद्यालय ने अल्प अवधि में ही मध्य भारत के अग्रणी विश्वविद्यालयों में स्थान प्राप्त किया है। उन्होंने अनुसंधान-आधारित शिक्षा, आधुनिक अधोसंरचना और उच्च शैक्षणिक गुणवत्ता के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को बधाई दी।
उन्होंने कहा— “दीक्षांत समारोह विश्वविद्यालय का सबसे गौरवपूर्ण क्षण होता है। मुझे विश्वास है कि आज उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थी ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना को आत्मसात करते हुए अपने ज्ञान और प्रतिभा से समाज एवं मानवता के कल्याण में योगदान देंगे।”
राज्यपाल ने शिक्षकों को भी संबोधित करते हुए कहा कि बदलते युग में नवाचार, अनुसंधान और कौशल विकास अत्यंत आवश्यक हैं। उन्होंने आग्रह किया कि विश्वविद्यालय निरंतर अनुसंधानपरक और व्यावहारिक ज्ञान के प्रसार पर ध्यान केंद्रित रखे।
समारोह के अंत में डिप्लोमा, स्नातक, स्नातकोत्तर तथा शोधार्थियों को उपाधियाँ प्रदान की गईं।
कार्यक्रम के समापन अवसर पर कुलसचिव डॉ. संदीप गांधी ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। मंच संचालन स्नेहाशीष सरकार एवं सुमिरा मदान (सहायक प्राध्यापक, अंग्रेजी) ने किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी संकायों के अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, प्राध्यापकगण, ट्रस्ट एवं प्रबंधन समिति के सदस्य, अभिभावक, विद्यार्थी एवं गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
